MAAHI

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ये कैसा मोहब्बत है तुम्हारा

    
      ये कैसा मोहब्बत है तुम्हारा
जो मुझसे दिल लगाना भी नहीं  चाहता
   *मुझे अपने बांहों में भरकर भी*
    *अपना बनाना नहीं चाहता*

  की वो कौन सी खता है हमारी
   जिसे तू भुलाना नहीं चाहता
     क्यों अपनी पलकों में
    मुझे बसाना नहीं चाहता

  तुमसे मिलकर लगता नहीं 
     की कोई गैर हो तुम,
   फिर क्यों चाहकर भी 
 मुझे अपनाना नहीं चाहता

*मुझे अपने बांहों में भरकर भी*
*अपना बनाना नहीं चाहता।*

      की हक माँगकर मेरे प्यार का
क्यों अपना प्यार मुझपे लुटाना नहीं चाहता
      मेरे गोद में सर रखकर भी
मुझसे मोहब्बत है ये बताना नहीं चाहता

  *मुझे अपने बांहों में भरकर भी*
   *अपना बनाना नहीं चाहता।*


*माही*


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6 Comments

Ramsewak gupta

08-Nov-2021 04:03 PM

Very nice

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Zakirhusain Abbas Chougule

06-Nov-2021 02:22 PM

Nice

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ये कैसा इश्क है तुम्हारा... बहुत खूब वाह जी

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